एस सी का 1 नेशन 1 राशन कार्ड का आदेश शक्तिशाली भारत बनाएगा – माइनॉरिटीज़ फ्रंट
नई दिल्ली – ऑल इंडिया माइनॉरिटीज़ फ्रंट के अध्यक्ष डॉ सैयद मोहम्मद आसिफ ने सभी प्रवासी मजदूरों को राशन दिए जाने और देश में एक हर नागरिक का एक राशन कार्ड होने का निर्देश दे कर शक्तिशाली भारतवर्ष बनाने का सराहनीय निर्देश दिया है. उन्होंने कहा की यह निर्णय देश की अर्थव्यवस्था को स्थायी रूप से शक्ति प्रदान करेगा।
डॉ आसिफ ने यहाँ जारी बयान में कहा कि पिछले 1 से कोरोना महामारी केचलते करोड़ों मजदूर बेरोजगार हो गए. उनके सामने पेट भरना एक बड़ी समस्या बन गई है, सुप्रीम कोर्ट ने देश की इस अति गंभीर समस्या की ओर धयान देकर देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए महती कार्य किया है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश मजदूरों को राहत देने वाला है। इसकी जितनी भी सराहना की जाए कम है.
डॉ आसिफ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में साफ तौर पर कहा है के 31 जुलाई तक एक नेशन एक राशन कार्ड पूर्ण रूप से पूरे भारत में लागू किया जाए. प्रवासी मजदूर जहां भी हो सरकार की ओर से दी जाने वाली राशन का उन्हें लाभ मिले। अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि जब तक कोविड-19 भारत में पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हो जाता इन प्रवासी मजदूरों को मुफ्त राशन दिया जाए. डॉ आसिफ ने कहा किअपने अपने कार्यस्थलों से मजदूरोंके पलायन ने भी अर्थव्यवस्था के सामने बड़ी चुनौती कड़ी कर दी है. क्योंकि उत्पादन करने और व्यापार को गति देने वाले हाथ नहीं उपलध होने पर यह दोनों कार्य शून्य पर पहुँच जाते हैं. कहना न होगा कृषि और उद्योग बिना मजदूरों के नहीं चल सकते। और भूखे पेट मजदूर अर्थव्यवस्था में योगदान की स्तिथि में नहीं रह सकता।
उन्होंने कहा कि पहली लहर में जिस प्रकार लॉकडाउन के बाद सैकड़ों हजारों मील का सफर कर भूखे प्यासे पैदल चलकर घर लौटे। बहुत सारे लोगों की घर लौटने के क्रम में मृत्यु हो गई. सरकार की ओर से रास्ते में खाने पीने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई, लेकिन जगह जगह पर समाजसेवियों ने उनके खाने की व्यवस्था की. विदेशी में हमारी बदनामी हुई।
माईनोरिटीज़ फ्रंट के नेता ने कहा कि देर आयद दुरस्त आयद , लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला प्रवासी मजदूरों के लिए लाभदायक है पिछले 1 साल पूर्व आई कोविड-19 के पहली लहर से लेकर कोरोना की दूसरी लहर जो अभी तक पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हुई है. इस बीच में करोड़ों मजदूर छोटे व्यवसाई बेरोजगार हो गए 3 करोड़ मध्यम वर्ग के लोग गरीबी रेखा में शामिल हो गए. लोगों की क्रय शक्ति कम होने के कारण देश की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई. वहीं अमेरिका जैसे कई देशों में कोरोना काल के बीच वहां की जनता की स्थिति मैं काफी सुधार आया जिससे देश की आर्थिक स्थिति वैसी खराब नहीं हुई. जैसे भारत में हो गया है इसका मूल कारण यह था के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देने की केंद्र सरकार ने घोषणा की, जिनका 2010 के पूर्व राशन कार्ड बना उन्हें तो लाभ मिला, लेकिन जिसके पास राशन कार्ड नहीं था इस योजना का लाभ नहीं मिला पैसा नहीं रहने के कारण लोगों की क्रय शक्ति ना के बराबर रह गई.
फ़िलहाल सबको राशन देने के लिए सरकारी तौर पर केंद्रीय सरकार या राज सरकार के पास कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. जब के अमेरिका में हर महीने यह आंकड़ा पेश किया जाता है कि कितने लोग बेरोजगार हैं और कितने लोग रोजगार से जुड़ गए. अमेरिका का यह इकोनॉमिक्स डाटा वेबसाइट पर जाकर कोई भी खोल कर देख सकता है.
डॉ आसिफ इ कहा कि हमारी पार्टी मांग करती है क्या केंद्र और राज्य सरकार भी प्रत्येक 3 महीने के बाद बेरोजगारी का डाटा वेबसाइट पर लोड करे 2010 जनगणना के बाद जिन लोगों का राशन कार्ड नहीं बना है या जिन लोगों का राशन कार्ड में नाम नहीं जुड़ा है. सभी राज्य सरकार उनका नाम जोड़े कितने प्रवासी मजदूर अपने राज्य से दूसरे राज्य में जाकर मजदूरी कर रहे हैं वह भी डाटा सार्वजनिक करे इससे यह साफ हो जाएगा कि कौन से राज्य ने अपने यहां रोजगार के कितने अवसर पैदा किया केवल कागज पर विकास दिखा देने से विकास नहीं होता यही कारण है कि लालच प्रलोभन देकर कई पार्टियां वोट खरीद लेती है लेकिन लोगों की बेरोजगारी और गरीबी वही की वही बनी रहती है.
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