आई पी सी की धारा 124 ए के तहत दायर सभी मुकदमों को वापस ले सरकार- माइनोरिटीज़ फ्रंट
नई दिल्ली – आल इंडिया माइनोरिटीज़ फ्रंट के अध्यक्ष डॉ सैयद मोहम्मद आसिफ ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सात वर्षों के शासनकाल में अंग्रेजों द्वारा बनाये गए कानून के तहत हज़ारों लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमों में अत्यधिक वृद्धि दर्शाती है कि ये सरकार असहमति के स्वर को सुनना भी गवारा नहीं करती है। उन्होंने कहा इसी कानून के तहत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और स्वतंत्रता सेनानी बालगंगाधर तिलक को अंग्रेजों ने जेल में डाल था। उन्होंने कहा इस अमानुषिक कानून को फौरन वापस लिया जाना चाहिए।
डॉ आसिफ ने यहां जारी बयान में याद दिलाया कि सत्ता में आने से पहले खुद भाजपा इस क्रूर कानून को हटाए जाने की मांग किया करती थी और अब खुद उसी कानून को विरोध का स्वर कुचलने के लिए प्रयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि आज़ाद भारत मे अब अंग्रेजों के द्वारा बनाये गए आई पी सी कानून की ज़रूरत नहीं है। भारतीय जनता पार्टी को अब आई पी सी कानून को बदले का अपना वायदा पूरा करना चाहिए।आई पी सी की धारा 124 ए के तहत दायर सभी मुकदमों को वापस ले सरकार।
माइनोरिटीज़ फ्रंट के नेता ने कहा कि आई पी सी की 124 धारा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने जो विचार प्रकट किए हैं, केंद्र सरकार उसे स्वीकार कर ले। उन्होंने सवाल किया कि जब सर्वोच्च अदालत के चीफ जस्टिस वी एन रमन्ना इस धारा को रद्द करने के लिए कह रहे है तो केंद्र सरकार क्यों बनाए रखना चाहती है ?
ऑल इंडिया माइनॉरिटी फ्रंट के संस्थापक अध्यक्ष डॉ सैयद मोहम्मद आसिफ ने कहा कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ए वी रमन्ना के विचारों से सहमत होना चाहिए। आजादी के 75 साल बाद भी लोगों के आवाज को दबाने के लिए इस धारा का उसी तरह इस्तेमाल किया जा रहा है जैसा अंग्रेजी सरकार इस कानून को लाकर भारत वासियों की आवाज को दबाने के लिये किया करती थी। आईपीसी 124 ए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और बाल गंगा तिलक पर भी यह धारा लगाकर राजद्रोह का मुकदमा कायम किया गया था । वी एन रमन्ना ने कहा के आज लोगों की आवाज दबाने के लिए इस धारा का बेजा इस्तेमाल करते हुए राजद्रोह का मुकदमा लगाकर जेल में बंद किया गया है । खासकर देश के दूरदराज के क्षेत्रों में भी इस धारा का प्रयोग कर उनकी आवाज को दबाने के लिए राजद्रोह थोपा जाता है। यह भी सच है कि उन्होंने कहा कि जिन लोगों पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया उनमे से कुछ गिने चुने लोगों को ही सजा मिली है । डॉ आसिफ ने कहा कि जो अफसर इस धारा का प्रयोग कर रहे हैं उनकी भी जवाबदेही तय होनी चाहिए। चीफ जस्टिस ने साफ शब्दों में कहा कि आज इस धारा की कोई जरूरत नहीं।
डॉ आसिफ ने कहा आज भी उत्तर प्रदेश से लेकर देश के कई राज्यों में पिछले 7 वर्षों से अपनी मांगों को लेकर जो सड़कों पर आता है सरकार के विरुद्ध आवाज उठाता है या नारा लगाता है चाहे वह पत्रकार हो साहित्यकार हो या नेता हो उनके खिलाफ इस धारा का प्रयोग कर जेल में डाल दिया गया है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को सरकार को यह आदेश देना चाहिए के ऐस लोगों को अभिलंब रिहा किया जाए जो किसी पार्टी साहित्य और पत्रकारिता से जुड़े हुए हैं, सड़कों पर प्रदर्शन करते हुए उनके ऊपर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ है। वापस लिया जाए। उन्होंने कहा कि प्रजातंत्र में सरकार के कार्यक्रम और काम से अ सहमत होकर अपनी आवाज उठाते हैं, उससे प्रजातंत्र अधिक मजबूत होता है
डॉ आसिफ ने कहा यह कानून संस्थानों के कामकाज के लिए गंभीर खतरा है। कई पुराने कानून हट रहे हैं तो इसे हटाने पर विचार क्यों नहीं होना हो। डॉ आसिफ ने कहा हमारी पार्टी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के बातों से सहमत है और उसका समर्थन करती है इस धारा को हटा लिया जाए लोगों के बोलने लिखने अपने विचार प्रकट करने के लिए सविधान ने जो अधिकार दिया है , इस धारा का प्रयोग नहीं होना चाहिए पिछले 7 वर्षों में 65% इस धारा के प्रयोग में वृद्धि हुई है। धारा IPC 124 A को हटा लिया जाए।
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