• मोदी जी अंग्रेजों के बनाये राजद्रोह कानून से इतना प्रेम क्यों है – डॉ आसिफ

    आई पी सी की धारा 124 ए के तहत दायर सभी मुकदमों को वापस ले सरकार- माइनोरिटीज़ फ्रंट

    sm-asif-picनई दिल्ली – आल इंडिया माइनोरिटीज़ फ्रंट के अध्यक्ष डॉ सैयद मोहम्मद आसिफ ने कहा है कि   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सात वर्षों के शासनकाल में अंग्रेजों द्वारा बनाये गए कानून के तहत हज़ारों लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमों में अत्यधिक वृद्धि दर्शाती है कि ये सरकार असहमति के स्वर को सुनना भी गवारा नहीं करती है। उन्होंने कहा इसी कानून के तहत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और स्वतंत्रता सेनानी बालगंगाधर तिलक को अंग्रेजों ने जेल में डाल था। उन्होंने कहा इस अमानुषिक कानून को फौरन वापस लिया जाना चाहिए।

    डॉ आसिफ ने यहां जारी बयान में याद दिलाया कि सत्ता में आने से पहले खुद भाजपा इस क्रूर कानून को हटाए जाने की मांग किया करती थी और अब खुद उसी कानून को विरोध का स्वर कुचलने के लिए प्रयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि आज़ाद भारत मे अब अंग्रेजों के द्वारा बनाये गए आई पी सी कानून की ज़रूरत नहीं है। भारतीय जनता पार्टी को अब आई पी सी कानून को बदले का अपना वायदा पूरा करना चाहिए।आई पी सी की धारा 124 ए के तहत दायर सभी मुकदमों को वापस ले सरकार।

    माइनोरिटीज़ फ्रंट के नेता ने कहा कि आई पी सी  की 124 धारा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने जो विचार प्रकट किए हैं, केंद्र सरकार उसे स्वीकार कर ले। उन्होंने सवाल किया कि जब सर्वोच्च अदालत के चीफ जस्टिस वी एन रमन्ना इस धारा को रद्द करने के लिए कह रहे है तो केंद्र सरकार क्यों बनाए रखना चाहती है ?

    ऑल इंडिया माइनॉरिटी फ्रंट के संस्थापक अध्यक्ष डॉ सैयद मोहम्मद आसिफ ने कहा कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ए वी रमन्ना के विचारों से सहमत होना चाहिए।  आजादी के 75 साल बाद भी लोगों के आवाज को दबाने के लिए इस धारा का उसी तरह इस्तेमाल  किया जा रहा है जैसा अंग्रेजी सरकार इस कानून को लाकर भारत वासियों की आवाज को दबाने के लिये किया करती थी। आईपीसी 124 ए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और बाल गंगा तिलक पर भी यह धारा लगाकर राजद्रोह का मुकदमा कायम किया गया  था । वी एन रमन्ना ने कहा के आज लोगों की आवाज दबाने के लिए इस धारा का बेजा इस्तेमाल करते हुए राजद्रोह का मुकदमा लगाकर जेल में बंद किया गया है । खासकर देश के दूरदराज के क्षेत्रों में भी इस धारा का प्रयोग कर उनकी आवाज को दबाने के लिए राजद्रोह थोपा जाता है। यह भी सच है कि उन्होंने कहा कि जिन लोगों पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया उनमे से कुछ  गिने चुने लोगों को ही सजा मिली है । डॉ आसिफ ने कहा कि  जो अफसर इस धारा का प्रयोग कर रहे हैं उनकी भी जवाबदेही तय होनी चाहिए।  चीफ जस्टिस ने साफ शब्दों में कहा कि आज इस धारा की कोई जरूरत नहीं।

    डॉ आसिफ ने कहा आज भी उत्तर प्रदेश से लेकर देश के कई राज्यों में पिछले 7 वर्षों से अपनी मांगों को लेकर जो सड़कों पर आता है सरकार के विरुद्ध आवाज उठाता है या नारा लगाता है चाहे वह पत्रकार हो साहित्यकार हो या  नेता हो उनके खिलाफ इस धारा का प्रयोग कर जेल में डाल दिया गया है।

    उन्होंने कहा कि  सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को सरकार को यह आदेश देना चाहिए के ऐस लोगों को अभिलंब रिहा किया जाए जो किसी पार्टी साहित्य और पत्रकारिता से जुड़े हुए हैं, सड़कों पर प्रदर्शन करते हुए उनके ऊपर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ है। वापस लिया जाए। उन्होंने कहा कि प्रजातंत्र में सरकार के कार्यक्रम और काम से अ सहमत होकर अपनी आवाज उठाते हैं, उससे  प्रजातंत्र अधिक मजबूत होता है

    डॉ आसिफ ने कहा  यह कानून संस्थानों के कामकाज के लिए गंभीर खतरा है। कई पुराने कानून हट रहे हैं तो इसे हटाने पर विचार क्यों नहीं होना हो।  डॉ आसिफ ने कहा हमारी पार्टी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के बातों से सहमत है और उसका समर्थन करती है इस धारा को हटा लिया जाए लोगों के बोलने लिखने अपने विचार प्रकट करने के लिए सविधान ने जो अधिकार दिया है , इस धारा का प्रयोग नहीं होना चाहिए पिछले 7 वर्षों में 65% इस धारा के प्रयोग में वृद्धि  हुई है।  धारा IPC 124 A को हटा लिया जाए।

  • مودی جی کو انگریزوں کے بنائے بغاوت قانون سے کیوں اتنا پیارکیوںہے : ڈاکٹر آصف

    آئی پی سی کی دفعہ 124 اے کے تحت درج تمام مقدمات واپس لے حکومت:آل انڈیا مائنارٹیزفرنٹ

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    نئی دہلی16جولائی
    آل انڈیا مائنارٹیزفرنٹ کے صدر ڈاکٹر سید محمد آصف نے کہا ہے کہ وزیر اعظم نریندر مودی کی حکمرانی کے سات سالوں کے دوران انگریزوں کے بنائے ہوئے قانون کے تحت ہزاروں افراد کے خلاف درج مقدمات میں بے تحاشا اضافہ اس بات کو ظاہر کرتا ہے کہ اس حکومت کو سننا چاہئے پرواہ نہیں کرتا۔ انہوں نے کہا کہ اس قانون کے تحت بابائے قوم مہاتما گاندھی اور آزادی پسند لڑکے بال گنگا دھار تلک کو انگریزوں نے جیل میں ڈال دیا تھا۔ انہوں نے کہا کہ اس غیر انسانی قانون کو فوری طور پر واپس لیا جانا چاہئے۔

    ڈاکٹر آصف نے یہاں جاری ایک بیان میں یاد دلایا کہ اقتدار میں آنے سے پہلے خود بی جے پی اس ظالمانہ قانون کو منسوخ کرنے کا مطالبہ کرتی تھی اور اب وہ اسی قانون کو احتجاج کی آواز دبانے کے لئے استعمال کررہی ہے۔ انہوں نے کہا کہ آزاد ہندوستان میں انگریزوں کے بنائے ہوئے آئی پی سی قانون کی کوئی ضرورت نہیں ہے۔ بھارتیہ جنتا پارٹی کو اب آئی پی سی ایکٹ سے انتقامی کارروائی کا اپنا وعدہ پورا کرنا چاہئے۔حکومت آئی پی سی کے سیکشن 124 اے کے تحت درج تمام مقدمات واپس لے۔

    فرنٹ کے رہنما نے کہا کہ آئی پی سی کی دفعہ 124 کے بارے میں سپریم کورٹ کے چیف جسٹس کے خیالات کا اظہار مرکزی حکومت کو قبول کرنا چاہئے۔ انہوں نے سوال کیا کہ جب سپریم کورٹ کے چیف جسٹس وی این رمنا اس دفعہ کو منسوخ کرنے کے لئے کہہ رہے ہیں تو مرکزی حکومت اس کو برقرار رکھنا کیوں چاہتی ہے؟

    آل انڈیا مائنارٹیزفرنٹ کے بانی صدر ڈاکٹر سید محمد آصف نے کہا کہ مرکزی حکومت کو سپریم کورٹ کے چیف جسٹس اے وی رمنا کے خیالات سے اتفاق کرنا چاہئے۔ آزادی کے 75 سال بعد بھی اس حصے کو لوگوں کی آواز کو اسی طرح دبانے کے لئے استعمال کیا جارہا ہے جس طرح برطانوی حکومت اس قانون کو لاکر ہندوستان کے عوام کی آواز دبانے کے لئے استعمال کرتی تھی۔ آئی پی سی 124A بابائے قوم مہاتما گاندھی اور بال گنگا تلک کے خلاف بھی اس دفعہ کو نافذ کرکے ملک پرستی کا مقدمہ درج کیا گیا تھا۔ وی این رمنا نے کہا کہ آج لوگوں کی آواز دبانے کے لئے اس حصے کا استعمال کرتے ہوئے انہیں ملک بغاوت کے الزام میں قید کردیا گیا ہے۔ خاص طور پر ملک کے دور دراز علاقوں میں ان کی آواز کو دبانے کے لئے اس حصے کا استعمال کرتے ہوئے بغاوت مسلط کیا جاتا ہے۔ یہ بھی سچ ہے کہ انہوں نے کہا کہ جن لوگوں پر ملک بغاوت کا مقدمہ چلایا گیا تھا ، ان میں سے صرف چند ایک کو ہی سزا دی گئی ہے۔ ڈاکٹر آصف نے کہا کہ جو افسران اس سیکشن کو استعمال کررہے ہیں ان کا بھی جوابدہ ہونا چاہئے۔ چیف جسٹس نے صاف کہا کہ آج اس سیکشن کی ضرورت نہیں ہے۔

    ڈاکٹر آصف نے کہا کہ آج بھی اتر پردیش سے لے کر ملک کی متعدد ریاستوں تک ، جو بھی گزشتہ 7 سالوں سے اپنے مطالبات کے لئے سڑکوں پر آجاتا ہے ، حکومت کے خلاف آواز اٹھاتا ہے یا نعرے بلند کرتا ہے ، چاہے وہ صحافی ہو ، ایک ادب یا ایک قائد ، یہ اس کے خلاف ہے۔اسے دفعہ کا استعمال کرتے ہوئے جیل میں ڈال دیا گیا ہے۔

    انہوں نے کہا کہ چیف جسٹس سپریم کورٹ حکومت کو حکم دیں کہ وہ ان لوگوں کو رہا کریں جو کسی بھی پارٹی ادب اور صحافت سے وابستہ ہیں ، سڑکوں پر احتجاج کرتے ہوئے ان پر ملک بغاوت کا مقدمہ درج کیا گیا ہے۔ انہوں نے کہا کہ جمہوریت میں حکومت کے پروگرام اور کام سے متفق ہوکر اور آواز بلند کرتے ہوئے جمہوریت مضبوط ہوتی ہے۔ ڈاکٹر آصف نے کہا کہ یہ قانون اداروں کے کام کرنے کے لئے سنگین خطرہ ہے۔ بہت سے پرانے قوانین کو ہٹایا جارہا ہے ، لہذا کیوں اسے ختم کرنے پر غور نہیں کیا جائے گا۔ ڈاکٹر آصف نے کہا کہ ہماری پارٹی سپریم کورٹ کے چیف جسٹس سے متفق ہے اور ان کی حمایت کرتی ہے ، اس سیکشن کو ختم کیا جانا چاہئے ، آئین کو عوام کو بولنے ، لکھنے ، اظہار خیال کرنے کا حق دیا گیا ہے ، اس سیکشن کو استعمال نہیں کیا جانا چاہئے ۔گذشتہ 7 سالوں میں اس دفعہ کے استعمال میں 65 فیصد اضافہ ہوا ہے۔ دفعہ آئی پی سی 124A کو ختم کیا جائے۔

  • गरीब जहां हैं बच्चे ज़्यादा वहाँ ,कोई एक समुदाय दोषी नहीं-डॉ आसिफ

    जनसंख्या नियंत्रण कानून का स्वागत करता है माइनोरिटीज़ फ्रंट

    dr-sm-asifनई दिल्ली । आल इंडिया माइनोरिटीज़ फ्रंट के अध्यक्ष डॉ सैयद मोहम्मद आसिफ ने स्वागत करते हुए कहा कि अधिक बच्चे होना किसी एक समुदाय विशेष की समस्या नहीं है। माध्यम वतग और संपन्न परिवारीन में दो या तीन से अधिक बच्चे नहीं होते हैं। जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण अशिक्षा और गरीबी है। सरक ईमानदारी से इस ओर ध्यान दे तो ऐसे कानून की ज़रूरत ही न पड़े।

    उन्होंने यहां जारी एक बयान में कहा कि  सरकार जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर सामाजिक सौहार्द न बिगड़े। सरकार सौहार्द बिगड़ने वालों के लिए कानून बनाये और उनके खिलाफ कार्यवाही करे।

    डॉ आसिफ ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण पर तो कानून बन गया अब बढ़ती महंगाई बेरोजगारी भ्रष्टाचार पर रोक के लिए भी सरकार कड़े कानून बनाये।

    ऑल इंडिया माइनॉरिटी फ्रंट के संस्थापक अध्यक्ष डॉ सैयद मोहम्मद आसिफ ने लोगों से अपील करते हुए कहा है मुट्ठी भर लोग देश की आपसी गंगा जमुनी सभ्यता को अपनी गलत बयानबाजी से तार तार करना चाहते हैं। जनता नफरत फैलाने वाली की बातों में ना आए देश की एकता अखंडता सर्वोपरि है।

    ज़हरीले प्रचार से भड़की ज्वाला नहीं देखती कि कौन मुसलमान है कौन हिंदू कौन स्वर्ण कौन दलित  सीधे-साधे इसके शिकार हो जाते हैं। डॉ आसिफ ने कहा  जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए कानून बनाया गया है हमारी पार्टी उसका स्वागत करती है । साथ ही यह भी मांग करती है के देश के अंदर झूठा प्रचार कर जो अल्पसंख्यकों  को बदनाम करने का मुट्ठी भर लोग साजिश कर रहे हैं। देश में बढ़ती महंगाई भ्रष्टाचार बढ़ रही बेरोजगारी पर नियंत्रण के लिए भी सरकार नए कानून लाए जिस प्रकार तीन तलाक धारा 370 किसी कानून पास किया है मुट्ठी भर लोग  हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाएंगे और मुसलमान बहुसंख्यक यह झूठ प्रचार बंद  होना चाहिए। उन्होंने आंकड़े देकर बताया कि  आज भारत मैं 14% मुस्लिम आबादी है और 80% हिंदू आबादी है 2011 जनगणना के अनुसार आबादी बढ़ने का आंकड़ा बराबर था तो कैसे हिंदू अल्पमत में आ जाएंगे ?

    भारत पाकिस्तान का विभाजन हुआ पाकिस्तान मैं 12 से 13% हिंदू थे जो आज घाट कर केवल 4% रह  गए हैं ,या तो उनको मार दिया गया या उनका धर्म परिवर्तन करा लिया गया। यह झूठ लगातार फैलाया जा रहा है जबकि सच ये है कि  पाकिस्तान दो भागों में बांटा था पश्चिम पाकिस्तान पूर्वी पाकिस्तान 1971 के बाद पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बना जहां आज भी हिंदू है और जो 4% हिंदू जनसंख्या पश्चिम पाकिस्तान में थी आज भी है। यह नफरत भरी झूठे प्रचार प्रचार करने वाले कितनी बार इस सच्चाई को सामने लाते हैं । इनकी जांच होनी चाहिए देश की सभी पार्टियां एक साथ मिलकर नफरत फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लोगों को जागरूक नहीं करें । ऐसे लोग समाज में जहर घोलकर देश को बर्बादी के कगार पर खड़ा कर देंगे।

  • غریب جہاں ہیں بچے زیادہ وہاں ہیں ،کوایک برادری ذمہ دار نہیں: ڈاکٹر آصف

    آبادی پر قابو پانے کے قانون کا خیرمقدم کرتا ہے اے آئی ایم ایف

    dr-sm-asifنئی دہلی12 جولائی
    آل انڈیا مائنارٹیزفرنٹ کے صدر آبادی پر کنٹرول کے قانون کا خیرمقدم کرتے ہوئے ڈاکٹر سید محمد آصف نے کہا کہ زیادہ بچے پیدا کرنا کسی خاص برادری کا مسئلہ نہیں ہے۔ متوسط طبقے اور متمول خاندان میں دو یا تین سے زیادہ بچے نہیں ہیں۔ آبادی میں اضافے کی سب سے بڑی وجہ ناخواندگی اور غربت ہے۔ اگر حکومت اس پر پوری توجہ دے گی تو پھر ایسے قانون کی ضرورت نہیں ہونی چاہئے۔

    یہاں جاری ایک بیان میں انہوں نے کہا کہ حکومت آبادی پر قابو پانے کے نام پر معاشرتی ہم آہنگی کو پریشان نہیں کرے۔ حکومت کو ان لوگوں کے لئے قانون بنانا چاہئے جو ہم آہنگی میں خلل ڈالتے ہیں اور ان کے خلاف کارروائی کرتے ہیں۔

    ڈاکٹر آصف نے کہا کہ آبادی پر قابو پانے کے بارے میں ایک قانون بنایا گیا ہے ، اب حکومت کو بڑھتی مہنگائی ، بیروزگاری ، بدعنوانی کی روک تھام کے لئے سخت قوانین بنانا چاہئے۔

    آل انڈیا مائنارٹیزفرنٹ کے بانی صدر ڈاکٹر سید محمد آصف نے عوام سے اپیل کرتے ہوئے کہا ہے کہ مٹھی بھر لوگ اپنی غلط بیانات سے ملک کی گنگا جمونی تہذیب کو داغدار کرنا چاہتے ہیں۔ عوام میں نفرت پھیلانے والوں کے کلام میں نہ آنے کی صورت میں ملک کا اتحاد و یکجہتی سب سے اہم ہے۔

    زہریلے پروپیگنڈے سے بھڑکنے والی شعلہ یہ نہیں دیکھتی کہ کون مسلمان ہے ، کون ہندو ہے ، کون سونا ہے اور کون دلت ہے ، وہ اس کا شکار ہوجاتے ہیں۔ ڈاکٹر آصف نے کہا کہ آبادی پر قابو پانے کے لئے ایک قانون بنایا گیا ہے ، ہماری جماعت اس کا خیرمقدم کرتی ہے۔ ساتھ ہی یہ مطالبہ بھی کرتا ہے کہ مٹھی بھر لوگ ملک کے اندر غلط پروپیگنڈا کرکے اقلیتوں کو بدنام کرنے کی سازشیں کررہے ہیں۔ ملک میں بڑھتی ہوئی مہنگائی ، بدعنوانی ، بڑھتی ہوئی بے روزگاری پر قابو پانے کے لئے ، حکومت نئے قانون بھی لے آئی ، جس طرح سے ٹرپل طلاق آرٹیکل 370 منظور ہوچکا ہے ، مٹھی بھر افراد ہندو اقلیت اور مسلم اکثریت بن جائیں گے ، اس جھوٹے پروپیگنڈے کو رکا جائے انہوں نے اعدادوشمار دیتے ہوئے بتایا کہ آج ہندوستان میں 14فیصد مسلم آبادی اور 80فیصد ہندو آبادی ہے ، 2011 کی مردم شماری کے مطابق ، اگر آبادی میں اضافے کا اعداد و شمار برابر تھا ، تو ہندو اقلیت میں کیسے آئیں گے؟

    ہندوستان پاکستان تقسیم ہوا ، پاکستان میں 12 سے 13فیصد ہندو تھے ، جو آج کم ہو کر صرف 4فیصد ہوچکے ہیں ، یا تو وہ مارے گئے یا پھر وہ مذہب تبدیل ہوگئے۔ اس جھوٹ کو مسلسل پھیلایا جارہا ہے ، جبکہ حقیقت یہ ہے کہ پاکستان دو حصوں میں تقسیم ہوگیا ، مغربی پاکستان مشرقی پاکستان ، 1971 کے بعد ، پاکستان سے علیحدگی کے بعد ، بنگلہ دیش بن گیا ، جہاں اب بھی ایک ہندو ہے اور 4 فیصد ہندو آبادی بھی مغربی پاکستان میںتھی ۔ اس نفرت سے بھرے جھوٹے پروپیگنڈے کتنی بار اس سچائی کو منظرعام پر لاتے ہیں۔ ان کی تحقیقات ہونی چاہئے ، ملک کی تمام فریق ایک ساتھ مل کر نفرت پھیلانے والوں کے خلاف کارروائی کے لئے لوگوں کو آگاہ نہیں کرتے ہیں۔ ایسے لوگ معاشرے میں زہر گھول کر ملک کو بربادی کے دہانے پر ڈال دیں گے۔

  • राजधानी को लूटपाट की नगरी न बनने दें मोदी और शाह करें हस्तक्षेप : माइनोरिटीज़ फ्रंट

    दिल्ली में जानलेवा हमले लूट और अपराधों रोकने में क्यों असमर्थ है दिल्ली सरकार : डॉ आसिफ

    sm-asif-picनई दिल्ली – कोरोना महामारी काल में देश की राजधानी दिल्ली हत्याओं और लूटपाट की राजधानी बन गयी है। अराजकता की स्तिथि के लिए दिल्ली सरकार पूरीं तरह से नाकाम साबित हो चुकी है। इसलिए दिल्ली को रहने लायक शहर बनाये रखने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संकट मोचक गृह मंत्री अमित शाह को अविलंब हस्तक्षेप करना चाहिए।
    आल इंडिया माइनोरिटीज़ फ्रंट के अध्यक्ष डॉ सैयद मोहम्मद आसिफ ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा कि दिल्ली की इस भयावह स्थिति को नहीं संभाल गया तो यहां अराजकता फैल जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि  कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के उपराज्यपाल को राजधानी के लोगों के जन माल की कोई परवाह नहीं है। उन्हें नागरिको को भयमुक्त बनाना था लेकिन दिल्ली में अपराधी भयमुक्त हो गए है। दिल्ली।पुलिस जनता को सुरक्षा देने में कोई रुचि नहीं दिखाई दे रहे है।

    उन्होंने कहा कि दिल्ली के बाड़ा हिंदू राव इलाके मेंनबदमाशों ने सरेआम अंधाधुंध फायरिंग की गोली लगने से दो राहगीरों की मौत हो गयी। इसी तरह द्वारका में एक परिवार को दिनदहाड़े बन्धकनबना कर बदमाश लुटेरों ने लाखों की नगदी घर के आभूषण लूट लिए। पुलिस अभी तक उन्हें पकड़ने में नाकाम है।

    माइनोरिटीज़ फ्रंट के अध्यक्ष डॉ आसिफ ने कहा जघन्य अपराधों का सिलसिला लगातार बना हुआ । देश की राजधानी दिल्ली में हर घंटे बढ रहे अपराध, पुलिस के आंकडे खुद गवाही दे रहे हैं। लॉकडाउन के सख्ती से पालन के लिए कानून व्यवस्था को भी चाक चौबंद रखने की भरपूर कोशिश की गई , लेकिन दिल्ली में इस दौरान रेप ,डकैती, स्नैचिंग और वाहन चोरी के मामले तेजी से बढ़े हैं. औसतन हर दिन 811 यानी 34 एफआईआर हर घंटे में दर्ज हो रही हैं.

    यही नहीं, इस साल 1 जनवरी से 15 जून तक कुल 833 रेप के मामले दर्ज किए गए हैं. जबकि 2020 में इसी अवधि के दौरान ऐसे मामले कम थे. इस साल कोरोना लॉकडाउन के चलते सार्वजनिक स्थान, स्कूल और ऑफिस बंद के बावजूद  राजधानी में स्ट्रीट क्राइम में इजाफा हुआ है. दिल्ली में 2020 में 15 जून तक पति और ससुराल वालों द्वारा क्रूरता के 824 मामले दर्ज किए गए थे. इस साल 15 जून तक इन मामलों की संख्या 1712 है.
    दिल्ली में महिलाओं के साथ रेप करने के इरादे से होने वाले हमलों के मामलों में 39 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है. पुलिस पिछले साल यानी 2020 में 15 जून तक ऐसे 735 मामले दर्ज किए थे. जबकि इस साल ये बढ़कर 1022 हो गए हैं. यही नहीं, दिल्ली में महिलाओं के अपहरण की घटनाओं में भी करीब 55 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. शहर में 2020 में अपहरण के 1026 मामले दर्ज किए गए, वहीं 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 1580 हो गया है. इसके अलावा महिलओं के अपहरण के मामलों में तीन गुना से अधिक का इजाफा हुआ है. यह संखया 2020 में 46 थी और 2021 में 159 हो गई है. हालांकि 2020 में महिलाओं की हत्या के 226 मामले दर्ज किए थे, लेकिन इस साल 15 जून तक 196 मामले सामने आए हैं.

    दिल्ली पुलिस के खुद स्वीकार करतीं है कि 1 जनवरी 2021 से लेकर 15 जून 2021 के बीच  तक 123295 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं. जबकि पिछले साल इसी समय अवधि में यह आंकड़ा महज 113855 का था.

    दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल 1 जनवरी से 15 जून के बीच लूट के करीब 701 मामले दर्ज किए गए थे. जबकि इस साल 15 जून तक यह आंकड़ा 942 से अधिक है. वहीं, दिल्ली में स्नैचिंग के मामलों में 46 फीसदी की वृद्धि हुई. इस साल स्नैचिंग के 3800 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं. जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 2600 था.
    यही नहीं, दिल्ली में इस साल 15 जून तक 63 हजार से अधिक चोरी के मामले दर्ज किए गए हैं, जो कि पिछले साल की तुलना में करीब 7 हजार अधिक हैं. इसके साथ मोटर वाहन चोरी और घर में चोरी के मामले भी बढ़े हैं. दंगों के मामले 2020 में 681 से घटकर इस साल 35 रह गए हैं। ऐसी स्तिथि में दिल्ली को संभालना बहुत ज़रूरी है। मुख्यमंत्री केजरीवाल अपनी सामाजिक राजनैतिक जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। उपराज्यपाल दिल्ली पुलिस के सर्वेसर्वा हैं। इस स्तिथि में वह अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। प्रधानंत्री को सीधे पहल कर दिल्ली को संभालने का कार्य करना चाहिए। क्योंकि दिल्ली को सिर्फ केजरीवाल और अनिल बैजल के सहारे नहीं छोड़ा नहीं सकता ।

  • مودی اور شاہ کو دارالحکومت کو لوٹ مار کا شہر نہیں بننے دینا چاہئے: اے آئی ایم ایف

    دہلی میں قاتلانہ حملوں ، لوٹ مار اور جرائم کو روکنے کے لئے دہلی حکومت کیوں ناکام ہے: ڈاکٹر آصف

    sm-asif-picنئی دہلی09جولائی
    کرونا کی وبا کے دوران ملک کا دارالحکومت دہلی قتل و غارت گری اور لوٹ مار کا دارالحکومت بن گیا ہے۔ دہلی حکومت ریاست میں انارکی کی صورتحال کے لئے ایک مکمل ناکامی ثابت ہوئی ہے۔ دہلی کو ایک روایتی شہر بنانے کے لئے وزیر اعظم نریندر مودی اور وزیر داخلہ امیت شاہ کو فوری مداخلت کرنی چاہئے۔

    آل انڈیا مائنارٹیزفرنٹ کے صدر ڈاکٹر سید محمد آصف نے مذکورہ بیان جاری کرتے ہوئے کہا ہے کہ اگر دہلی کی اس ہولناک صورتحال کو سنبھالا نہیں گیا تو یہاں انتشار پھیل جائے گا۔ انہوں نے الزام لگایا کہ وزیر اعلی اروند کیجریوال اور دہلی کے

    لیفٹیننٹ گورنر دارالحکومت کے عوام کے عوامی سامان کی پرواہ نہیں کرتے ہیں۔ اسے شہریوں کو خوف سے پاک بنانا تھا ، لیکن دہلی میں جرائم پیشہ افراد خوف سے پاک ہوگئے ہیں۔ دہلی پولیس عوام کو تحفظ فراہم کرنے میں کوئی دلچسپی نہیں دکھا رہی ہے۔

    انہوں نے کہا کہ دہلی کے باڑا ہندو راو ¿ علاقے میں شرپسندوں نے اندھا دھند فائرنگ کر کے دو راہگیروں کو ہلاک کردیا۔ اسی طرح دواریکا میں دن دہاڑے کنبہ کو یرغمال بنا کر شرپسندوں نے لاکھوں نقد مالیت کے گھر کے زیورات لوٹ لئے۔ پولیس ان کو پکڑنے کے لئے ابھی ناکام ہے۔

    اے آئی ایم ایف صدر ڈاکٹر آصف نے کہا کہ گھناو ¿نے جرائم کا سلسلہ بدستور جاری ہے۔ ملک کے دارالحکومت میں ہر گھنٹے جرائم میں اضافہ ہوتا جارہا ہے ، خود پولیس کے اعداد و شمار گواہی دے رہے ہیں۔

    لاک ڈاو ¿ن کی سختی سے پیروی کرنے کے لئے امن و امان کو برقرار رکھنے کی بھی کوششیں کی گئیں لیکن اس عرصے کے دوران دہلی میں عصمت دری ، ڈکیتی ، چھیننے اور گاڑی چوری کے واقعات میں تیزی سے اضافہ ہوا ہے۔ اوسطا ہر روز 811 یعنی ہر گھنٹے میں 34 ایف آئی آر درج کی جارہی ہیں۔
    صرف یہی نہیں اس سال یکم جنوری سے 15 جون تک مجموعی طور پر 833 عصمت دری کے واقعات درج ہوئے ہیں۔ جبکہ 2020 میں اسی عرصے کے دوران اس طرح کے معاملات کم تھے۔ اس سال کورونا لاک ڈاو ¿ن کی وجہ سے عوامی مقامات ، اسکولوں اور دفاتر کی بندش کے باوجود دارالحکومت میں اسٹریٹ کرائم میں اضافہ ہوا ہے۔ دہلی میں 15 جون ، 2020 تک شوہر اور سسرالیوں کی طرف سے ظلم کے 824 مقدمات درج کیے گئے تھے۔ اس سال 15 جون تک ان معاملات کی تعداد 1712 ہے۔
    دہلی میں خواتین کے ساتھ عصمت دری کی نیت سے حملہ کرنے کے واقعات میں 39 فیصد سے زیادہ کا اضافہ ہوا ہے۔ پولیس نے پچھلے سال یعنی 2020 میں 15 جون تک ایسے 735 مقدمات درج کیے تھے۔ جبکہ اس سال یہ بڑھ کر 1022 ہوگئی ہے۔

    صرف یہی نہیں دہلی میں خواتین کے اغوا کے واقعات میں بھی تقریبا 55 فیصد کا اضافہ ہوا ہے۔ 2020 میں شہر میں اغوا کے 1026 واقعات درج ہوئے جبکہ 2021 میں یہ تعداد بڑھ کر 1580 ہوگئی۔ اس کے علاوہ خواتین کے اغوا کے واقعات میں تین گنا سے زیادہ اضافہ ہوا ہے۔ یہ تعداد 2020 میں 46 تھی اور 2021 میں یہ 159 ہوگئی ہے۔ اگرچہ 2020 میں خواتین کے قتل کے 226 مقدمات درج ہوئے تھے ، لیکن اس سال 15 جون تک 196 واقعات رپورٹ ہوئے ہیں۔
    دہلی پولیس خود اعتراف کرتی ہے کہ یکم جنوری 2021 سے 15 جون 2021 کے درمیان 123295 ایف آئی آر درج کی گئیں۔ جبکہ گذشتہ سال کے اسی عرصے میں یہ تعداد صرف 113855 تھی۔

    دہلی پولیس کے اعداد و شمار کے مطابق گزشتہ سال یکم جنوری سے 15 جون کے درمیان ڈکیتی کے تقریبا 701 واقعات درج کیے گئے تھے۔ جبکہ رواں سال 15 جون تک یہ تعداد 942 سے زیادہ ہے۔ اسی وقت دہلی میں چھیننے والے کیسوں میں 46 فیصد کا اضافہ ہوا ہے۔ اس سال چھیننے کے 3800 سے زیادہ مقدمات درج کیے گئے ہیں۔ جبکہ گذشتہ سال یہ تعداد 2600 تھی۔

    صرف یہی نہیں رواں سال 15 جون تک دہلی میں چوری کے 63 ہزار سے زیادہ واقعات درج ہوچکے ہیں جو گذشتہ سال کے مقابلے میں تقریبا 7 ہزار زیادہ ہیں۔ اس کے ساتھ ہی موٹر گاڑی چوری اور گھر چوری کے واقعات میں بھی اضافہ ہوا ہے۔ فسادات کے معاملات 2020 میں 681 سے کم ہوکر رواں سال 35 ہوچکے ہیں۔ ایسی صورتحال میں دہلی کو سنبھالنا بہت ضروری ہے۔ وزیر اعلی کیجریوال اپنی سماجی سیاسی ذمہ داری سے نہیں بچ سکتے ہیں۔ لیفٹیننٹ گورنر دہلی پولیس کا سروسروا ہے۔ اس صورتحال میں وہ اپنی ذمہ داری سے نہیں بچ سکتے۔ وزیر اعظم کو براہ راست پہل کرنی چاہئے اور دہلی کو سنبھالنے کی ذمہ داری اٹھانی چاہئے کیونکہ دہلی کو صرف کیجریوال اور انیل بیجل کے بھروسے نہیں چھوڑا جاسکتا۔

  • 84 वर्षीय फादर स्र्टेन स्वामी की मृत्यु हो गई परंतु अग्रिम जमानत नहीं मिला : एस एम आसिफ

    NIA द्वारा UAPA लगाने के कारण जीवन बर्बाद हुआ कुछ जमानत के इंतजार में स्वामी की तरह मर गए सरकार इस कानून को वापस ले : ऑल इंडिया माइनॉरिटी फ्रंट

    sm-asif-pixनई दिल्ली – एक बयान जारी करते हुए ऑल इंडिया माय फ्रेंड के संस्थापक डॉक्टर सैयद मोहम्मद आसिफ ने कहा पूरे देश में जो भी कानूनी लड़ाई लड़ रहा है या सरकार के विरुद् आवाज उठा रहा है

    NIA उन्हें UAPA के धारा के तहत गिरफ्तार कर जेल में डाल देती है फादर स्टेंन स्वामी एक 84 वर्षीय वृद्ध व्यक्ति थे 2020 अक्टूबर में मुंबई के गोरेगांव में हुए हिंसा मैं बहुत सारे लोगों के ऊपर UAPA लगाकर गिरफ्तार किया उनके ऊपर यह आरोप लगा कि यह लोग हिंसा में शामिल थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने की साजिश रचा था यह सब माओवादी है फादर स्वामी कई बीमारियों से ग्रस्त थे बिना एयर फोन लगाएं किसी की बात नहीं सुन पाते थे पूरा शरीर जर्जर था उनकी तबीयत खराब होने के बाद महाराष्ट्र के जे जे अस्पताल में कई बार इलाज के लिए ले जाया गया कोट से अग्रिम जमानत की फरियाद करते रहे परंतु NIA हर बार इनके जमानत का विरोध करता रहा के इन्हें कोई बीमारी नहीं यह स्वस्थ है जमानत नहीं मिलनी चाहिए

    फादर स्वामी केरल के रहने वाले थे 1965 के बाद झारखंड में आकर लोगों की सेवा में लग गए सरकार जो आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर शहरीकरण कर रही थी आदिवासियों के साथ मिलकर सरकार के सामने आवाज उठाई यह बार-बार कानून व्यवस्था पर सवाल उठा रहे थे के बिना ट्रायल के जिन लोगों को जेल में बंद रखा गया है वह सब गरीब हैं उनके घर वालों की आमदनी इतनी नहीं है की वकील रखकर जमानत करा सके उन लोगों को रिहा किया जाए वह क्या जानते थे के अपनी अग्रिम जमानत की फरियाद करते करते इनकी भी मृत्यु हो जाएगी वह आखरी समय में रांची में अपने परिवार के साथ जीवन व्यतीत करना चाहते थे

    फादर स्वामी ने मई में अंतिम जमानत खारिज होने के बाद कहा था के भीमा कोरेगांव हिंसा से मेरा कोई लेना देना नहीं मैं वहां गया ही नहीं एनआईए जबरदस्ती देशद्रोह के मुकदमे में मुझे गिरफ्तार किया है मैं आदिवासी गरीब और असहाय के लिए कानून व्यवस्था पर जरूर सवाल उठाया लेकिन देशद्रोह से मेरा कहीं कोई संबंध नहीं रहा ना मेरा कभी माओवादी संगठन से संबंध रहा अक्टूबर 2020 से जेल में रहते रहते मैं अस्वस्थ हो गया अब मेरे अंदर चलने करने की भी शक्ति नहीं जब मैं गिरफ्तार हुआ था पूर्ण रूप से स्वस्थ था और चल फिर रहा था  डॉ आसिफ ने इनकी मृत्यु पर शोक प्रकट करते हुए कहा आज भी भारत में बहुत सारे लोगों पर एनआईएUAPA लगाकर जेल में बंद कर रखा है जिन पर देशद्रोह का मुकदमा लगा लंबे समय तक उन्हें जमानत नहीं मिली जब कोर्ट से फैसला आया तो कोर्ट ने साफ लफ्जो में कहा के एनआईए इनके खिलाफ कोई देशद्रोह में शामिल होने का सबूत पेश नहीं किया सबूत के अभाव में इन लोगों को रिहा किया जाता है इस केस में कुछ लोग तो बेड पर पड़े हैं और कुछ लोग इस संसार को छोड़ दिया फादर स्वामी के पास बरसो इंतजार करने का समय नहीं बचा था

    हमारी सरकार से मांग है की उन्हीं लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाए जिसके सबूत एन आई ए के पास हो बहुत सारे केसों में देखा गया के देशद्रोह और आतंकवादियों से सांठगांठ के नाम पर f.i.r. कर जेल में डाल दिया गया बरसों बाद कोर्ट ने ये कहकर उनको रिहा कर दिया के इनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है जिन लोगों का कीमती समय जेल में बर्बाद हुआ जवान से बूढ़े हो गए कई बीमारियों का शिकार हो गए कई की मृत्यु हो गई क्या उनके जेल में बिताए गए समय को एनआईए लौटा सकती है हमारी पार्टी सरकार से मांग करती है के सरकार के कामकाज के विरुद्ध अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन करने वाले पत्रकार साहित्यकार समाजसेवी को UAPA की धारा में गिरफ्तार किया गया है और पूरे देश से इस कानून सरकार एक अलग टीम गठित कर जांच के बाद इन लोगों को  रिहा किया जाए सरकार इस कानून को वापस ले ताकि कोई दूसरा फादर स्वामी की तरह अग्रिम जमानत के आस मैं दम तोड़ दे

  • 84 سالہ فادر اسٹرن سوامی انتقال کرگئے لیکن پیشگی ضمانت نہیں دی گئی: ایس ایم آصف

    این آئی اے کے ذریعہ یو اے پی اے کے نفاذ کی وجہ سے زندگی ضائع ہوگئی ، کچھ تو ضمانت کے منتظر سوامی کی طرح دم توڑ گئے ، حکومت کو یہ قانون واپس لینا چاہئے: آل انڈیا اقلیتی محاذ

    sm-asif-pixنئی دہلی6جولائی
    ایک بیان جاری کرتے ہوئے ، آل انڈیا مائنارٹیزفرنٹ کے بانی ڈاکٹر سید محمد آصف نے کہا کہ جو بھی پورے ملک میں قانونی جنگ لڑ رہا ہے یا حکومت کے خلاف آواز اٹھارہا ہے ، این آئی اے انہیں یو اے پی اے کے سیکشن کے تحت گرفتار کرتی ہے اور جیل میں ڈال دیتی ہے۔ سوامی ایک 84 سالہ شخص تھے ۔ اکتوبر 2020 میں ممبئی کے گورگاو ¿ں میں ہونے والے تشدد میں انہیں بہت سے لوگوں پر یو اے پی اے لگانے کے الزام میں گرفتار کیا گیا تھا کہ یہ لوگ تشدد میں ملوث تھے اور وزیر اعظم نریندر کے قتل کی سازش کی گئی تھی۔ سبھی ماو ¿ نواز کے باپ سوامی بہت ساری بیماریوں میں مبتلا تھے بغیر ایئر فون رکھے بغیر کسی کی بات نہیں سن سکتا تھا ، سارا جسم جڑا ہوا تھا ، اس کی طبیعت خراب ہونے کے بعد انہیں متعدد بار علاج کے لئے مہاراشٹر کے جے جے اسپتال لے جایا گیا ، ان کی پیشگی ضمانت مل گئی لیکن این آئی اے ہر بار ان کی ضمانت کی مخالفت کرتی رہی کہ انہیں کوئی بیماری نہیں ہے ، یہ صحت مند ہے ، اسے ضمانت نہیں ملنی چاہئے ۔فادر سوامی کیرل کے رہائشی تھے ، 1965 کے بعد وہ جھارکھنڈ آئے اور لوگوں کی خدمت شروع کردی۔

    قبائلی قبضہ کرکے شہریاری کر رہے تھے انہوں نے ایک ساتھ مل کر حکومت کے سامنے آواز اٹھائی ، وہ بار بار امن و امان پر سوالیہ نشان لگارہے تھے ، بغیر کسی مقدمے کے ، تمام افراد جنہیں جیل میں رکھا گیا ہے وہ غریب ہیں ، ان کے کنبہ کے افراد کی آمدنی کافی نہیں ہے کہ وہ رکھے ہوئے ضمانت حاصل کرسکیں ان لوگوں کو رہا کیا جانا تھا کیا وہ جانتا تھا کہ وہ اپنی پیشگی ضمانت کی التجا کرتے ہوئے بھی مر جائے گا۔ وہ آخری وقت رانچی میں اپنے کنبہ کے ساتھ رہنا چاہتا تھا ، سوامی نے مئی میں ان کی آخری ضمانت مسترد ہونے کے بعد کہا تھا۔ بھیما کوریگاو ¿ں تشدد سے کوئی لینا دینا نہیں ، میں وہاں نہیں گیا ، این آئی اے نے زبردستی بغاوت کے معاملے میں مجھے گرفتار کیا ، میں نے قبائلی غریبوں اور لاچاروں کے لئے امن و امان پر ضرور سوال اٹھایا ، لیکن مجھے بغاوت سے کوئی سروکار نہیں ہے۔

    ایک بار ماو ¿نواز تنظیم کے ساتھ تعلقات تھے ، میں اکتوبر 2020 سے جیل میں رہ کر بیمار ہوگیا تھا ، اب جب مجھے گرفتار کیا گیا تھا تو چلنے کی طاقت بھی نہیں رکھتے تھے ، بالکل صحتمند تھے اور چلتے پھرتے۔ ڈاکٹر آصف نے ان کی موت سے تعزیت کی اور کہا کہ آج بھی بھارت میں بہت سے لوگ این آئی اے یو اے پی اے نافذ کرکے جیل میں ہیں جن پر غداری کا الزام لگایا گیا تھا ، انھیں زیادہ دن تک ضمانت نہیں ملی ، جب عدالت سے فیصلہ آیا تو عدالت نے واضح طور پر کہا کہ این آئی اے نے ثبوتوں کی عدم دستیابی کی وجہ سے ان کے خلاف غداری میں ملوث ہونے کا کوئی ثبوت پیش نہیں کیا ، ان لوگوں کو رہا کیا گیا ہے ، اس معاملے میں کچھ لوگ بستر پر پڑے ہیں اور کچھ لوگ اس دنیا سے رخصت ہوگئے ، والد سوامی کے پاس بہت سال انتظار کرنے کا وقت نہیں تھا ۔ ہماری حکومت مطالبہ کررہی ہے کہ انہی لوگوں پر غداری کا مقدمہ چلایا جائے جس کا ثبوت این آئی اے ہے۔ دہشتگردوں سے بغاوت اور ملی بھگت کے نام پر بہت سے معاملات میں دیکھا گیا ہے۔

    برسوں بعد عدالت نے انہیں یہ کہتے ہوئے رہا کیا کہ ان کے خلاف کوئی ثبوت نہیں ہے ، وہ لوگ جن کا قیمتی وقت جیل میں ضائع ہوا ، جوان ہوکر بوڑھا ہو گیا ، بہت سی بیماریوں کا شکار ہو گیا ، کیا وہ مر گیا؟ این آئی اے جیل میں گذرا ہوا وقت واپس کر سکتی ہے ۔ ہماری پارٹی حکومت سے مطالبہ کرتا ہے کہ صحافی ، ادیب ، سماجی کارکن ، جو اپنے مطالبات کے لئے حکومت کے کام کاج کے خلاف احتجاج کر رہا ہے ان کو یو اے پی اے کے سیکشن اور اس قانون حکومت کے تحت پورے ملک سے گرفتار کیا گیا ہے ان افراد کو رہا کیا جائے۔ علیحدہ ٹیم تشکیل دے کر تفتیش کے بعد حکومت کو یہ قانون واپس لے لینا چاہئے تاکہ فادر سوامی جیسے پیشگی ضمانت کی امید میں کوئی اورنہ دم توڑدے ۔

  • बिहार में अफसरशाही बेलगाम हो रही है सरकारी योजना हो या जन समस्या कोई समाधान नहीं हो रहा : एस एम आसिफ

    बिहार में ट्रांसफर मैं पैसा लेने की जो बात उजागर हुई है नीतीश जी उसकी निष्पक्ष जांच कराएं  : ऑल इंडिया माइनॉरिटी फ्रंट

    dr-sm-asifनई दिल्ली – एक बयान जारी करते हुए ऑल इंडिया माइनॉरिटी फ्रंट के सुप्रीमो डॉक्टर सैयद मोहम्मद आसिफ ने कहा बिहार में सरकार का अफसरशाही पर कोई अंकुश नहीं यही कारण है कि जदयू पार्टी के विधायक और और मंत्री मदन साहनी अफसरों के मनमानी के कारण अपना इस्तीफा देने की बात कहीं है उनका कहना है के हमारे पी ए से लेकर कोई भी अधिकारी पूरे बिहार में ना मंत्री की बात सुनते हैं और ना ही किसी जनप्रतिनिधि की बीजेपी के विधायक ज्ञानेंद्र कुमार के साथ हम पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी विपक्षी पार्टियों के साथ कई विधायकों ने मदन सहानी के बातों का समर्थन करने के लिए सामने आ गए हैं

    डॉ आसिफ ने कहा यही कारण है के मोटी रकम देकर जो अधिकारी और कर्मचारी  अपना ट्रांसफर कराते हैं ट्रांसफर में दिए गए पैसे को वसूली करने के लिए भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाते हैं नल जल योजना हो मनरेगा हो सड़क और पुल का निर्माण हो बाढ़ कोरोना महामारी जैसे आपदा में लोगों की सहायता के लिए जो फंड दिया जाता है जरूरतमंद तक पहुंचने के पहले ही बंदरबांट हो जाता है मुख्यमंत्री नीतीश जी जो भ्रष्टाचार उजागर हुआ है अगर जल्द इस पर कार्यवाही नहीं होती है तो आपकी पार्टी और गठबंधन के विधायक की आवाज में विद्रोह का सूर नजर आ रहा है आपके कुर्सी के लिए खतरा है जो  जानकारी मिल रही है 29 जून को पूरे बिहार में जो ट्रांसफर किया गया है 1 लाख से लेकर 10 लाख रुपया तक लेकर ट्रांसफर किया गया है और आप के मंत्री विधायक जिन अफसरों का एक जगह 3 साल पूरा होने के बाद ट्रांसफर कराने के प्रयास में थे उनकी एक नहीं सुनी गई और पैसा लेकर मनमानी ढंग से ट्रांसफर कर दिया गया अगर आप के मंत्री और विधायक के कहे अनुसार कुछ लोगों का ट्रांसफर हो जाता तो पैसा देकर ट्रांसफर करने की बात कभी उजागर नहीं होता

    हमारी पार्टी मांग करती है के निष्पक्ष रुप से इसकी जांच होनी चाहिए के वह कौन कौन से अधिकारी हैं और किस अधिकारी ने पैसा दे कर अपना ट्रांसफर करवाया है उनके विरुद्ध कार्रवाई हो तभी बिहार से भ्रष्टाचार खत्म होगा और बिहार का विकास होगा आधा बिहार बाढ़ में डूब जाता है और बाकी क्षेत्रों में इन्हीं भ्रष्ट अधिकारियों के कारण कोई उद्योग धंधे रोजगार के अवसर नहीं पनप पा रहे हैं नीतीश जी इसकी जांच कराएं और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाए

  • بہار میں بیوروکریسی بے لگام ہوتی جارہی ہے ، حکومتی اسکیم ہو یا عوامی مسئلہ ، کوئی حل نہیں دیا جارہا ہے: ایس ایم آصف

    نتیش جی بہار میں منتقلی میں وصول ہونے والی رقم کی منصفانہ تحقیقات کریں: آل انڈیا مائنارٹیزفرنٹ

    dr-sm-asifنئی دہلی3 جولائی
    ایک بیان جاری کرتے ہوئے آل انڈیا مائنارٹیزفرنٹ کے سربراہ ڈاکٹر سید محمد آصف نے کہا کہ بہار میں بیوروکریسی پر حکومت کا کوئی کنٹرول نہیں ہے ، یہی وجہ ہے کہ جے ڈی (یو) پارٹی کے ایم ایل اے اور دوسرے وزیر مدن ساہنی نے صوابدیدی کے سبب استعفی دینے کی بات کی۔ ان کا کہنا ہے کہ ہمارے پی اے کی طرف سے پورے بہار میں کوئی بھی افسر وزیر کی بات نہیں سنتا ہے اور نہ ہی کوئی عوامی نمائندہ بی جے پی کے ممبر اسمبلی گیانیندر کمار ، پارٹی کے سابق وزیر اعلی جتن رام مانجھی کے ساتھ بہت سے ممبران اسمبلی کے ساتھ اپوزیشن جماعتیں ہیں۔

    ڈاکٹر آصف مدن سہانی کی باتوں کی حمایت کرنے نکلے ہیں ، انہوں نے کہا کہ یہی وجہ ہے کہ افسران اور ملازمین جو بھاری رقم ادا کرکے اپنا تبادلہ کرتے ہیں ، بدعنوانی میں ملوث ہیں تاکہ منتقلی میں دی گئی رقم کی وصولی کی جاسکے ، نلکے کا پانی خواہ منریگا ہو ، سڑکیں اور پل بنائے جائیں ، سیلاب سے ہونے والی مہاماری جیسے وبائی امراض میں لوگوں کی مدد کے لئے دیئے جانے والے فنڈز ، ضرورت مندوں تک پہنچنے سے پہلے اس کا ضیاع ہو جاتا ہے ۔ وزیر اعلی نتیش جی جلد ہی اس پر کارروائی نہ کی گئی تو بدعنوانی کا انکشاف ہوا ہے۔

    اگر یہ ہے تو آپ کی پارٹی اور اتحاد کے ایم ایل اے کی آواز میں بغاوت کی آواز نظر آرہی ہے ، آپ کی کرسی کو خطرہ ہے ، اطلاع موصول ہو رہی ہے جو 29 جون کو پورے بہار میں منتقل کردی گئی تھی ، 1 سے منتقل کیا گیا تھا اور آپ کے وزراءاور ممبران اسمبلی جو 3 سال مکمل ہونے پر افسران کو ایک ہی جگہ پر منتقل کرنے کی کوشش کر رہے تھے ان کی بات نہیں مانی گئی اور اگر آپ کے وزراءکی ہدایت کے مطابق کچھ لوگوں نے رقم لے کر من مانی سے تبادلہ کیا۔ ایم ایل اے اگر تبادلہ ہوتا ہے تو پھر پیسے دے کر رقم منتقل کرنے کا معاملہ کبھی سامنے نہیں آتا ۔

    ہماری پارٹی کا مطالبہ ہے کہ اس کی معروضی تحقیقات کی جائیں ، وہ کون سا آفیسر ہے اور کس افسر نے اپنا تبادلہ رقم دے کر کیا ہے ، تب ہی کارروائی بہار سے بدعنوانی کا خاتمہ ہوگا اور بہار ترقی کرے گا۔آدھا بہار سیلاب میں ڈوبا ہوا ہے اور دوسرے علاقوں میں ان کرپٹ عہدیداروں کی وجہ سے کوئی صنعت ، کاروبار ، روزگار کے مواقع پھل پھول نہیں پا رہے ہیں ۔ نتیش جی ، اس کی تحقیقات کروائیں اور بدعنوانی پر روک لگائیں۔