यूपी का बजट गवाह है कि अल्पसंख्यकों का इस राज में उद्धार नहीं होगा- माइनोरिटीज फ्रन्ट
नई दिल्ली। आल इंडिया माइनॉरिटीज फ्रन्ट के अध्यक्ष डॉ एस एम आसिफ ने योगी सरकार के बजट 21-22 से एक बार फिर साबित हुआ है कि भाजपा के राज्य में अल्पसंख्यकों का उद्धार संभव नहीं है। इस सरकार ने नए विश्वविद्यालय खोलने व शिक्षा पर भरपूर राशि का प्रावधान किया है लेकिन अल्पसंख्यकों के उत्थान व उनकी शिक्षा के लिए किसी भी तरह के बजट का प्रावधान नहीं किया हैं।
उन्होंने कहा कि आज सरकार के वित्तमंत्री सुरेश खन्ना ने 5,50,270 करोड़ रुपये का बजट पेश किया है। यूपी के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा बजट है। लेकिन इसमें दलित अल्पसंख्यकों के लिए कोई विशेष बजट का प्रावधान नहीं रखा गया है। कहने को यूपी सरकार का यह बजट युवाओं, किसानों व महिलाओं पर केंद्रित है। लेकिन महिलाओं के लिए केवल 32 करोड़ धनराशि का प्रावधन है जो ऊंट के मुंह मे जीरा है। यह पहला मौका होगा जब बजट पूरी तरह ‘पेपरलेस’ है। उसी तरह से यह बजट पूरी तरह से अल्पसंख्यक- दलितलेस बजट बन गया हैं।
डॉ आसिफ ने यहां जारी बयान में कहा है कि एक ओर सरकार मुसलमानों के विकास में रोड़ा बन गयी है वहीं दूसरी ओर दलित अल्पसंख्यकों पर प्रशासन झूठे मुकदमे दर्ज कर रही। सुशासन का दम भरने वाली सरकार के राज्य में ऐसा होने से उसकी कथनी और करनी पर सवाल खड़े हो गए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी से अनुरोध किया कि वह अल्पसंख्यकों पर दर्ज तमाम फर्जी मुक़दमों की जांच करायें दोषी पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर और सभी निराधार मुकदमों को वापस लेने के निर्देश जारी करें।
डॉ आसिफ ने कहा की महिला शक्ति केंद्रों के लिए 32 करोड़ बहुत कम हैं। यह राशि हर जिले के हिसाब से कम से कम एक एक करोड़ निर्धारित की जानी चाहिए। ऐसा होने से महिला स्वावलंबन और उनका वास्तव शसक्तीकरण में हो पायेगा।
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